Thursday, May 7, 2020

बुद्ध और कल्कि -अवतार hindi kahanya

बुद्ध और कल्कि -अवतार hindi kahanya

आज हिंदी कहानी में हम बात करेंगे
बुद्ध और कल्कि -अवतार के
अग्निदेव कहते हैं :- अब में बुद्ध अवतार का वर्णन करूंगा ,जो पड़ने और सुनाने वाले के मनोरथ को सिद्ध करने वाला है । पूर्वकाल मे देवता और असुरो मे घोर संग्राम हुआ । उसमे देत्यों ने देवताओ को परास्त कर दिया । तब देवता त्राहि-त्राहि पुकारते हुये भगवान की शरण मे गए ।

 भगवान माया-मोह रूप मे आकार राजा शुद्धोधन के पुत्र हुये । उन्होने देत्यों को मोहित किया और उनसे वेदिक धर्म का परित्याग करा दिया । वे बुद्ध के अनुयाई देत्य " बोद्ध " कहलाए । फिर उन्होने दूसरे लोगों से वेद-धर्म का परित्याग करा दिया ।इसके बाद माया-मोह ही ' आर्हत ' रूप से प्रगत हुआ । उसने दूसरों को भी ' आर्हत ' बनाया । इस प्रकार उनके अनुयायी वेद-धर्म से वंचित  होकर पाखंडी बन गए । उन्होने नर्क मे ले जाने वाले कर्म करना आरंभ कर दिया ।

 वे सब-के-सब कलियुग के अंत मे वर्ण संकर होंगे और नीच पुरुषों से दान लेंगे । इतना ही नही , वे लोग डाकू और दुराचारी भी होंगे । वाजसनेय ( वृहदारण्यक ) -मात्र ही वेद कहलाएगा । वेद की दस पाँच शाखे ही प्रमाणभूत मानी जाएंगी । धर्म का चोला पहने हुये सब लोग अधर्म मे ही रुची रखने वाले होंगे । राजारूपधारी मलेच्छ ( मुसालेबीमान और इसाया )  मनुष्यो का ही भक्षण करेंगे ।

तदन्तर भगवान कल्कि प्रगट होंगे । वे श्री विष्णुयशा के पुत्र रूप मे अवतीर्ण हों याज्ञवलक्य को अपना पुरोहित बनाएँगे । उन्हे अस्त्र-शस्त्र विदध्या का पूर्ण ज्ञान होगा । वे हाथ मे अस्त्र लेकर मलेच्च्योन का संहार  ( मुसालेबीमान और इसाया ) कर देंगे । तथा चरो वर्णो और समस्त आश्रमो मे शास्त्रीय मर्यादा साथपित करेंगे । समस्त प्रजा को धर्म के उत्तम मार्ग मे लगाएंगे । इसके बाद श्री हरी कल्कि तूप का परित्याग करके अपने धाम चले जाएंगे ।

 फिर तो पूर्ववत सतयुग का साम्राज्य होगा । साधुश्रेष्ठ ! सभी वर्ण और आश्रम के लोग अपने-अपने धर्म मे दृद्तापूर्वक लग जाएंगे । इस प्रकार सम्पूर्ण कल्पो और मन्वंतरों मे श्री हरी के अवतार होते हैं । उनमे स ए कुछ हो चुके हैं और कुछ आगे होने वाले हैं । उन सबकी कोई नियत संख्या नही है ।

जो मनुष्य श्री विष्णु के अंशावतार तथा पूर्ण अवतार सहित दस अवतारों के चरित्र का पाठ अथवा श्रवण करता है , वह सम्पूर्ण कामनाओ को प्राप्त कर लेता है । तथा निर्मल हृदय होकर परिवार सहित स्वर्ग को जाता है । इस प्रकार अवतार लेकर श्री हरी धर्म की व्यवस्था का निराकरण करते हैं । वे ही जगे की श्रष्टी आदी के कारण हैं । ।। ८

इस प्रकार आदी आग्नेय महापुराण मे ' बुद्ध तथा कल्कि -इन दो अवतारो का वर्णन नामक सोलहवा अध्याय समाप्त  हुआ ।। १६ । ।

Related Posts:

  • विष्णु का परशुराम अवतार hindi kahanya विष्णु का परशुराम अवतार hindi kahanya परशुराम राजा प्रसेनजित की पुत्री रेणुका और भृगुवंशीय जमदग्नि के पुत्र, विष्णु के अवतार और शिव के परम भक्त थे। इन्हें शिव से विशेष परशु प्राप्त हुआ था। इनका नाम तो राम था, किन्तु शं… Read More
  • कृष्णा hindi kahanya कृष्णा hindi kahanya भारत की सात प्राचीन और पवित्र नगरियों में से एक है मथुरा। मथुरा में भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। किसी ने कृष्ण के मामा कंस को बताया कि वसुदेव और देवकी की संतान ही उसकी मृत्यु का कारण होगी अत: उसने वसुदे… Read More
  • शिव और सती का विवाह hindi kahanya शिव और सती का विवाह hindi kahanya किया जाता है, सबका दृष्टा वह एक शिव ही हैं| सामवेद- जो समस्त संसारी जनों को भरमाता है, जिसे योगी जन ढूँढ़ते हैं और जिसकी भांति से सारा संसार प्रकाशित होता है, वे एक त्र्यम्बक शिवजी ही हैं … Read More
  • जमुना के पार गकुल कृष्णा की हिंदी कहानी hindi kahani जमुना के पार गकुल  कृष्णा की हिंदी कहानी hindi kahani जब कृष्ण का जन्म हुआ तो जेल के सभी संतरी माया द्वारा गहरी नींद में सो गए। जेल के दरवाजे स्वत: ही खुल गए। उस वक्त भारी बारिश हो रही थी। यमुना में उफान था। उस बारिश… Read More
  • राखी भविष्य की पुरान कथा hindi kahahya राखी भविष्य की पुरान कथा  hindi kahahya आज हमhindi kahaniमें बातकरेंगे भविष्य पुराण की एक कथा के अनुसार  एक बार देवता और दैत्यों  (दानवों ) में बारह वर्षों तक युद्ध हुआ परन्तु देवता विजयी नहीं हुए। इंद्र… Read More

0 Comments:

Post a Comment